महीना सावन के आगे रे संगी, महीना सावन के आगे ।
नदिया, नरवा, खेत- खार जम्मो कोती हरीआगे ।।
टेटका - मेचका टरर टरर, येती ओती नरियावत हे।
होगे बियासी धान- पान, लहर लहर लहलहावत हे ।।
ये सावन के महीना मा छ.ग. के, पहली तिहार घलो लगठियावात हे ।
हरेली तिहार के चिला रोटी घलो, महर महर ममहावत हे।।
हरेली के तिहार मा साबो , अपन चिखलाय नांगर ला धोवत हे ।
पानी कांजी गिरत नई हे, किसान मन टुकुर टुकुर देखत हे ।।
सावन महीना भर छत्तीसगढ़ के , तिहार ले भरे हे ।
जम्मो बहिनी मन राखि बनाय, भाई मन के अगोरा मा खड़े हे ।।
आठ दिन के बाद , आठे कन्हैया घलो आगे हे ।
ढोल नंगारा नंदागे रे संगी, बैंड बाजा अऊ डीजे हा छागे हे ।।
भोले बाबा के भगत मन, बोल बम बोल बम चिल्लावत हे ।
श्रद्धा भक्ति ले मनोकामना लेके , बाबा के दुवारी मा जावत हे ।।
सबो के मन गदगद होगे ,
भोले बाबा के परसाद ला पाके ।
बड़ा निक लागे संगी, सावन के महीना आगे सावन के महीना आहे ।।
एकदम बढ़िया लिखें हव महोदय जी
ReplyDeleteGajjb
ReplyDeleteअति- सुन्दर 👌👌
ReplyDeleteBahut achchha bhai
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