आजबे ओ, आजबे ना ।
दिन बुड़ती संझवती के बेरा ,
आजबे ना ।।
आ जांहु गा , आ जांहु ना
दिन बुड़ती संझवती के बेरा ,
आ जांहु ना ।।
बैठे जोहत रईहु,
रस्ता ला तोर ।
राखे रइबे सुरता,
कर लेबे मोर ।।
संझा के बेरा पांच बजे ।
आजबे तै पानी भरे ।।
आ जांहु गा , आ जांहु ना
दिन बुड़ती संझवती के बेरा ,
आ जांहु ना ।।
गांव बस्ती के देखत रइथे ।
संगी सहेली मन ठोलत रइथे ।।
पानी भरे बर आथव मैं हा ।
का बतावव तोला बइहा ।।
आजबे ओ , आजबे ना ।
दिन बुड़ती संझवती के बेरा ,
आजबे ना ।।
जलइया ला जलन दे बही ।
मोर जिनगी के रानी तहि ।।
तोला देखे बर जीवरा तरसे ।
नई देखव ता दिल नई धड़के ।।
आ जांहु गा , आ जांहु ना
दिन बुड़ती संझवती के बेरा ,
आ जांहु ना ।।
मोर जिनगी के तै राजा ।
लेके आजा बैंड बाजा ।।
सोला सिंगार करहू मैं हा ।
मैं तोर रानी, राजा तै हा ।।
आ जांहु गा , आ जांहु ना
दिन बुड़ती संझवती के बेरा ,
आ जांहु ना ।।
------------परम साहू -----------
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