नवा बछर के नवा मया म..

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नवा बछर के नवा मया म

चल मिल के नहाबो

गुत्तूर बोली के गुलगुलहा भजिया ल

मिल बांट के खाबो

सुरता के मोटरी गठियाये रहीबो

हमर मया के दीया जीनगी भर जलाय रहिबो।


पाछू के दुःख ल दुरिहा करके

नवा खूसी के अंजोर ल धर के

आगु डहर बढ़बो

हपटबो, गिरबो, रोबो

फेर आगू बढ़े के उदीम करबो।


चिखला म सने अज्ञान ल

सफा ज्ञान के पानी म धोबो

धोबों आंखी के चिपरा ल

बने असन चिपी दवा लगाबो

नयन रोग ले दुरीहा, सुग्घर नजारा पाबो।


चलव ये बखत कुछू नवा करबो

नवा छत्तीसगढ़ ल गढ़बो

लुकावत संस्कृति ल उघारबो

विदेशी संस्कृति ल उखाड़बो 


नंदावत फरा चिला ल चौपाटी म खाबों

Dj ल छोड़ मांदर, ढोलक, मंजीरा ल बजाबो

नाचबो पंथी अऊ सुवा ल

भगाबो जात पात के छुआ ल।


चलव ये साल ले ठेठरी खुरमी खाबो

चलव गौरी गौरा करमा दरिया गाबो

सुनबो बसदेवा के जय गंगा गीत ल

तीजन संग पंडवानी गुनगुनाबो।


संघर्ष के गाना ल हंस हस के गाबों

गढ़बो नवा जवानी ल,

सिखबो पाछू के गलती ले

 लिखबो नवा कहानी ल।


चलव पढ़बो अऊ पढ़ाबो 

हमर समाज ल आगू बढ़ाबो

ऊंच निच के मुर्दा ल मरघट म जलाबो 

जलाबो बैरी सोच ल 

अयोध्या के जगह अपन हिरादे म

राम मंदिर बनाबो।


भुलाबो जुन्ना रिस ल

नई घोरन बानी के बीस ल,

घरम के डबरा ल पाटबो 

मुस्लिम भाई संग मया बांटबो।


चलव माटी के कर्ज छुटाबो 

चलव बेटा के फर्ज निभाबो 

चलव हसदेव ल बचाबो

जल जमीन जंगल 

ये हमर महतारी के सुंदरता हरे

रुख राई लगाके येकर सुंदरता बढ़ाबो।

।। नवा बछर के नवा मया म 

चल मिल के नहाबो,

गुत्तूर बोली के गुलगुलहा भजिया ल मिल बांट खाबो।।

 जय जोहार

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