आंख का तारा

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मां बाप का आंखो का तारा  हुं ! मैं ही तो उनका एक मात्र एक सहारा हुं !!

मुझसे ही उनका हर एक सवेरा है ! मेरे मांगने से पहले कहते है बेता सब कुछ तेरा है !!


घर मे कुछ नही रहता है खाने को ! चुन चुन कर लाते है मेरे लिये खाने को !!

खुद तो शिक्षा से बहूत दूर थे ! पर मुझे कभी दूर होने नही दिये !!

रोज मझदुरी करके लाये एक एक पैसे ! और हर एक पैसे मुझ पर लुटा दिये 

ये जीवन उनके कठीन परिश्रम से पाया हुं  I मैं ही तो मात्र एक सहारा हुं I


भेज दिये मुझे पढ़ने अकेले पाने को मंजिल उंचि ! करते थे इक्कठा एक एक पैसा खाके रुखि सुखी !!

सुबह से लेकर शाम तक करते थे मजदुरी ! हर वक्त यही सोचते की हमारा लाडला करेगा आस पुरी !!

बाहर जाके मस्त हो गया दोस्ती यारी मे ! वाह रे परम भाग रहा था अपनी जवाबदारी से !!

कुछ समय बाद आया मेरे समझ मे ! व्यर्थ गंवा रहा था अपना अमुल्य जीवन इस जग मे !!

व्यसाय शुरु किया मां बाप का बनके दुलारा ! फिर बन गया बुढ़ापे एक मात्र एक सहारा !!

             ------------------------------परम साहु ---------------------------------

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