नटखट कान्हा मन को भाये । ( कृष्ण जन्माष्टमी)

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नटखट कान्हा मन को भाये ।
मधुबन में रास रचाये ।
खुद तो माखन खाए ,
संग दूसरो को भी खिलाए  ।।

रोज शिकायत लेके यशोदा के पास आये ।
योशोदा बेचारी तंग आ जाये ।

योशादा बोले क्यों री कान्हा ,
तोहे चिंता नाही मोरी ।
कान्हा बड़े प्यार से बोले,
मैं नाही की माखन चोरी ।।

गुस्से में आके,
बांधने चले मैंया यशोदा ।
लीला प्रभू का अटपट,
डोरी भी लागन लगी छोटा ।।

प्यार से बोले कन्हैया ,
चोरी करने जाता नहीं हूं मईया ।
मुझे तो बुला के ले जाते हैं ,
नहीं मांगता माखन मैं फिर भी मुझे खिलाते हैं ।।

ग्वाल बाल संग कन्हैया ,
मधुबन में बंशी बजाए ।
भोर भए पनघट में,
गोपियों को नाच नचाये ।।

बंशी के तान सुन,
राधा व्याकुल हो जाये ।
बना रही खाना को ,
आधा छोड़ के आ जाये ।।

नटखट कान्हा मन को भाये ।
मधुबन में रास रचाये ।।

जन्माष्टमी पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई भगवान कृष्ण आप सब के ऊपर आशीर्वाद बनाए रखें ।।

।। जय श्री कृष्ण ।।


-------------परम साहू-------------

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