पापा की कठोर सीना भी , जोर जोर से रोता हैं ।
हृदय की टुकडा, बिटिया रानी, जब घर से विदा होता हैं ।।
बेटी बिन घर, आंगन, सब हो जाते हैं सुना ।
देखो अपने ही घर की बेटी, पल में हो जाते है पहुना ।।
जिन्हे हम जानते भी नही , हम भेज देते है उनके संग ।
नए घर में जाती है , अलग जहां की रीत और ढंग ।।
सुख दुख सबको समझकर, अपना लेती है, नए परिवार ।
पिया के घर सजाने के लिए , कर देते है अपना ही जीवन न्यूछार ।।
लेकिन मां बाप का प्यार , कभी होता नही है कम ।
बेटी मायके और ससुराल, दोनो में खुश रहती हैं खुशी मिले या गम ।।
दुख का दर्द सहकर भी , करती है जगत की विस्तार ।
बेटी के साथ मां बाप को भी , "परम" करता नमन बार बार ।।
................ परम साहू …..............
Bahut hi sundar sahab
ReplyDeleteNice
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