चाहत मिलने की प्यार भरा सायरी

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चाहत मिलने की प्यार भरा सायरी

बेखाब रहकर, तुम्हे दिल से पुकारता हूँ 

देखा नहीं कभी तुम्हे, लेकिन बंद आँखों से तुम्हे ही निहारता हूँ 

नहीं जनता तुम हो कहाँ, और ढूंढ़ने निकल पड़ा हूँ 

कभी मिला नहीं तुमसे, और मिलने रास्ते पर खड़ा हूँ 

नज़ारे दुनिया की जहर हो गई है,

इस नाचीज़ को तुझसे मोहब्बत हो गई है 

जो अक्सर बरसा करती है,

ये आंखे तुम्हे देखने को तरसा करती है 

कैसे पहचानू तुम्हे, रंग रूप बता दो 

कैसा है भेद तुम्हारा, ये भेद बता दो 

मैं तुम्हे नहीं, तुम्हारे साथ जीने का पल मांगता हूँ 

तुम्हारे बागों को नहीं, उसका एक फूल मांगता हूँ 

बेखाब रहकर, तुम्हे दिल से पुकारता हूँ 

देखा नहीं कभी तुम्हे, लेकिन बंद आँखों से तुम्हे ही निहारता हूँ 


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